Description
धर्मभूमि भारत का आध्यात्मिक इतिहास इस बात का प्रमाण है कि जब जब भारत के आध्यात्मिक जीवन पर जड़वादरूपी संकट आया तब तब भगवान ने नरदेह धारण कर अवतीर्ण हो उसे उबारा। पूर्व पूर्व युगों की अपेक्षा वर्तमान युग का संकट अधिक भयंकर था, क्योंकि वह केवल साधारण भोगवाद नहीं था, यह तो वैज्ञानिक जड़वाद था जो अतिद्रुत गति से असंख्य नर-नारियों के अन्तस्तल में पैठता हुआ उनके हृदय के श्रद्धा-विश्वास को समूल नष्ट करने पर तुला था। इसके आकर्षक मोहजाल में फँसकर भारतवासी त्याग पर अधिष्ठित अपने सनातन धर्ममार्ग से दूर चले जा रहे थे। मानव-जाति को इस महान् संकट से बचाने के लिए सनातन धर्म की पुन:प्रतिष्ठा आवश्यक थी, परन्तु यह प्रतिष्ठा इस रूप से करनी थी जिससे वैज्ञानिक मनोभावयुक्त आधुनिक मानव उसकी प्रक्रिया को सरलता से समझ सके और अपना सके। इस कार्य की पूर्ति के लिए भगवान श्रीरामकृष्णदेव का आविर्भाव हुआ था। उन्होंने अपने दिव्य जीवन द्वारा भारत की सुप्त आध्यात्मिक शक्ति को पुन: जागृत किया। न केवल हिन्दू धर्म को, बल्कि संसार के प्राय: सभी विख्यात धर्मों को पुनरुज्जीवित कर उन्होंने सम्पूर्ण संसार की धर्मग्लानि को दूर किया तथा भ्रान्त, अशान्त, अतृप्त जगद्वासियों को अमृतत्व का सन्धान देकर धन्य किया। भगवान श्रीरामकृष्ण सभी धर्मों के जीवन्त विग्रह थे; सनातन सत्य की अभिनव अभिव्यक्ति थे। वे अत्यन्त सरल और मनोहर भाषा में उपदेश देते थे तथा उनमें उनकी गहन-गम्भीर आध्यात्मिक अनुभूति की शक्ति भरी होती थी।
Contributors : Swami Vagishwarananda, Compilation