आत्माराम के अनुभव (Atmaram Ke Anubhav)

SKU EBH219

Contributors

Swami Japananda, Swami Videhatmananda

Language

Hindi

Publisher

Ramakrishna Math, Nagpur

Pages in Print Book

253

Print Book ISBN

9789384883263

Description

रामकृष्ण संघ के एक वरिष्ठ संन्यासी स्वामी जपानन्द जी (१८९८-१९७२) श्रीमाँ सारदादेवी के शिष्य थे । स्वामी ब्रह्मानन्दजी से उन्हें संन्यास-दीक्षा मिली थी । उन्हें श्रीरामकृष्ण के अनेक शिष्यों का घनिष्ठ सान्निध्य मिला था । औपचारिक रूप से संन्यास की दीक्षा प्राप्त करने के पूर्व भ्रमण करते समय वे ‘साधु आत्माराम’ के नाम से अपना परिचय दिया करते थे । लेखक के रूप में वे अपना नाम गोपनीय रखना चाहते थे, अत: छद्मनाम के रूप में ‘एक संन्यासी’ अथवा ‘आत्माराम’ लिखा करते थे । इन लेखों में उन्होंने कई स्थानों पर ‘मैं’ की जगह ‘संन्यासी’ शब्द का उपयोग किया है । उन्होंने बँगला में श्रीरामकृष्ण के कुछ शिष्यों तथा अपने वैचित्र्यपूर्ण अनुभवों के आधार पर अनेक रोचक तथा प्रेरणादायी संस्मरण लिपिबद्ध किये थे ।

Contributors : Swami Japanandaa, Swami Videhatmananda,