कठ उपनिषद (Katha Upanishad)

SKU EBH221

Contributors

Srimad Shankaracharya, Swami Videhatmananda

Language

Hindi

Publisher

Ramakrishna Math, Nagpur

Pages in Print Book

175

Print Book ISBN

9789384883508

Description

सनातन वैदिक धर्म के ज्ञानकाण्ड को उपनिषद् कहते हैं । सहस्रों वर्ष पूर्व भारतवर्ष में जीव-जगत् तथा तत्सम्बन्धी अन्य विषयों पर गम्भीर चिन्तन के माध्यम से उनकी जो मीमांसा की गयी थी, इन उपनिषदों में उन्हीं का संकलन है । वैसे इनकी संख्या दो सौ से भी अधिक है, परन्तु आदि शंकराचार्य ने जिन दस पर भाष्य लिखा है और जिन चार-पाँच का उल्लेख किया है, उन्हें ही प्राचीनतम तथा सर्वप्रमुख माना जाता है । पूज्यपाद श्री शंकराचार्य के काल में भी ये उपनिषद् अत्यन्त प्राचीन हो चुके थे और उनका अर्थ समझना दुरूह हो गया था, अत: उन्होंने वैदिक धर्म की पुन: स्थापना हेतु प्रमुख उपनिषदों पर सरस भाष्य लिखकर अपने सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया । कठोपनिषद् वैदिक साहित्य में कृष्ण यजुर्वेद की कठ शाखा के ब्राह्मण ग्रन्थ के एक अंश के रूप में प्राप्त होता है । सामान्य व्यक्ति के जिज्ञासु मन में ‘मृत्यु के बाद जीव की गति’ के विषय में जो प्रश्न उठते हैं, उसका समाधान इस ‘कठ’ उपनिषद् में यमराज-नचिकेता-संवाद के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है । उसी को हम अन्वय, सरल हिन्दी अनुवाद तथा शांकर भाष्य के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं । इसके पूर्व हम ईश तथा केन उपनिषदों के शांकर भाष्य सहित हिन्दी अनुवाद प्रकाशित कर चुके हैं । उसी शृंखला की यह तीसरी कड़ी है ।

Contributors : Srimad Shankaracharya, Swami Videhatmananda,