Description
भगवान श्रीरामकृष्ण की सहधर्मिणी श्रीमाँ सारदादेवी ने सभी प्राणियों के प्रति अपने मातृप्रेम, सहज-सरल जीवन तथा आध्यात्मिक शक्तियों के द्वारा नवीन युगधर्म की स्थापना की। वैसे तो उनका ‘जीवन’ ही जगत के लिए उनका सन्देश है; तथापि मार्गदर्शन, आध्यात्मिक शान्ति और मातृप्रेम पाने के लिए विभिन्न समय में कई लोगों के द्वारा लिखे जाने वाले अनेक पत्रों के उत्तर में ‘माँ’ जो पत्र भेजती थीं, उनमें अनेक अमूल्य उपदेश निहित हैं। श्रीमाँ तो ज्ञानदायिनी थीं, उनकी सरल-सहज भाव से कही गई बातों में पाठकों को शान्ति, सन्तुष्टि और ज्ञान प्राप्त होता था। अत्यन्त पुरानी होने के कारण उनमें से कई पत्रों के अक्षर अस्पष्ट थे। बहुत दिनों तक प्रयत्न करके बेलूड़ मठ से प्राप्त अप्रकाशित तथा कुछ प्रकाशित पत्रों को पठनीय बनाकर अभया दासगुप्त के द्वारा संकलित किए गए ‘माँ’ के उन्हीं पत्रों को बँगला भाषा में ‘मायेर चिठी’ नामक पुस्तक के रूप में रामकृष्ण मिशन इंस्टिट्यूट ऑफ कल्चर, गोलपार्क, कलकत्ता ने प्रकाशित किया है। इसी पुस्तक को हिन्दी में अनुवाद करके प्रकाशित किया जा रहा है।
Contributors : Swami Dharanidharananda, Abhaya Dasgupta