माँ सारदा (Ma Sarada)

SKU EBH056

Contributors

Swami  Apurvananda

Language

Hindi

Publisher

Ramakrishna Math, Nagpur

Pages in Print Book

276

Print Book ISBN

9789393251671

Description

जब भगवान् मानव-जाति के उद्धार के लिए धराधाम में अवतरित होते हैं, तब उनके साथ उनकी शक्ति का स्त्री-रूप में प्राय: आविर्भाव होता है, जो उनकी अभिन्न सहचरी होती हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि श्रीराम का सीता के साथ, श्रीकृष्ण का राधा के साथ, बुद्ध का यशोधरा के साथ और श्रीचैतन्य का विष्णुप्रिया के साथ इस जगत् में आगमन वर्तमान युग में वही दिव्य शक्ति माँ सारदा के रूप में आविर्भूत हुई, जो भगवान श्रीरामकृष्ण के दैवी कार्य को सम्पन्न कराने में सहायिका सिद्ध हुईं। तभी तो श्रीरामकृष्ण उनके सम्बन्ध में कहा करते थे, ‘‘वह सारदा है — सरस्वती है। ज्ञान देने के लिए आयी है। … वह मेरी शक्ति है।’’ संसार के समक्ष ईश्वर का मातृ-भाव रखने के लिए ही उन्होंने मानव-तन धारण किया था। यह पुस्तक माँ सारदा के जीवन के इसी विशिष्ट पहलू पर प्रकाश डालने के लिए लिखी गयी है। स्वामी विवेकानन्द ने भी उनके असली स्वरूप को पहचान लिया था और इसीसे वे उन्हें ‘जीती-जागती दुर्गा’ कहाँ करते थे। उनका यह दैवी-मातृत्व आदर्श पत्नी, आदर्श संन्यासिनी और आदर्श गुरु आदि के रूपों में प्रकट हुआ है। इन नाना रूपों में उन्होंने जगत् के सम्मुख भारतीय नारी के आदर्श को प्रस्तुत किया है, जिसमें पवित्रता, दया और सरलता का समावेश है। आत्मानुभूति और सेवा के द्वारा उन्होंने भारतीय संस्कृति और समाज में नूतन जीवन संचारित किया है। अब यह संसार की नारियों का धर्म है कि वे उनके पद-चिन्हों पर चलकर अपने को उनके जीवन के अनुरूप ढालने का प्रयत्न करें।

Contributors : Swami Apurvananda