Description
एकाग्रता ही शिक्षा की उपलब्धि का प्रथम तथा प्रधान माध्यम है और यह प्रश्न बहुत से छात्रों के मन को आन्दोलित करता रहता है कि आखिर इस एकाग्रता को बढ़ाया कैसे जाय! रामकृष्ण मिशन, बेलगाँव के सचिव स्वामी पुरुषोत्तमानन्दजी ने इस छोटी-सी पुस्तिका में यही रहस्योद्घाटन किया है। देते हैं। ‘एकाग्रता ही सभी प्रकार के ज्ञान की नींव है; इसके सिवा कुछ भी करना सम्भव नहीं है।’ ऐसा स्वामी विवेकानन्द कहते हैं। ज्ञानार्जन के लिए विद्यार्थियों को किस प्रकार मन को एकाग्र करना चाहिए इसका दिग्दर्शन इस पुस्तिका में किया है। हमें विश्वास है कि, प्रस्तुत पुस्तिका में दिये गये मार्गदर्शन का हर एक छात्र अनुसरण करेगा, तो निश्चित रूप से वह मन की एकाग्रता बढ़ाने में सफल होगा।
Contributors : Swami Purushottamananda, Sri Pradip Narayan Sharma, Sri S. K. Padhi