Description
इस पुस्तक में स्वामी विवेकानन्दजी के ‘शिक्षा’विषयक विधायक और स्फूर्तिप्रद विचारों को प्रस्तुत किया गया है। स्वामीजी ने अपने इन विचारों में यह प्रतिपादित किया है कि आज भारत को मानवता तथा चरित्र का निर्माण करनेवाली शिक्षा की नितान्त आवश्यकता है। उनके मत से, सभी प्रकार की शिक्षा और संस्कृति का आधार धर्म होना चाहिए। उन्होंने अपने इस सिद्धान्त को अपनी कृतियों और व्याख्यानों में बराबर पुरस्सर किया है। इसमें समाविष्ट ‘व्यक्तिमत्व का विकास’, ‘साध्य तथा साधन’, ‘कर्तव्य क्या है’, ‘स्वामी की तरह कर्म करो’ ये नये अध्याय स्वामी विवेकानन्द के साहित्य के हिन्दी अनुवाद से संकलित किये गये हैं। अन्त में सन्दर्भसूचि भी दी गयी है।
Contributors : Swami Vivekananda,