श्रीरामकृष्ण आरती (Sri Ramakrishna Arati)

SKU EBH268

Contributors

Dr. Kedarnatha Labha, Ms. Aasha Varathe, Swami  Nikhileshwarananda

Language

Hindi

Publisher

Ramakrishna Math, Nagpur

Pages in Print Book

121

Print Book ISBN

9789393251107

Description

“सुप्रसिद्ध नाटककार एवं कवि श्री गिरीशचंद्र घोष ने स्वामी विवेकानन्द से अनुरोध किया कि वे श्रीरामकृष्णदेव पर एक ग्रंथ लिखे। स्वामीजी ने कहा – श्रीरामकृष्ण का जीवन-चरित्र लिखना मेरे लिए संभव नहीं है। गुरुदेव की अनंत महिमा को मैंने समझा ही कितना है? क्या आप चाहते हो कि शिव की मूर्ति का निर्माण करते-करते मैं बंदर की मूर्ति का निर्माण करूँ, नहीं-नहीं? मुझसे यह नहीं होगा। फिर भी स्वामी विवेकानन्द ने भावों के उच्चतम शिखर से श्रीरामकृष्णदेव के लिए एक अमर स्तवन लिखा। उनका यह स्तवन अवतार-वरिष्ठ श्रीरामकृष्णदेव के प्रति सर्वश्रेष्ठ भावांजलि है। यह स्तवन श्रीरामकृष्णदेव के अनंत भावों को, अनंत गुणों को, “अनंत लीला को भक्तों के सम्मुख प्रकट करता है, और उनके मन को उच्च भाव-स्थिति में प्रस्थापित करता है। भाव, संगीत, ताल, लय आदि सभी दृष्टियों से यह स्तवन अनन्य है। उनके भावों की उदात्तता उत्कृष्ट है। श्रीरामकृष्णदेव के दिव्य चरित्र को समझने की गुरुचाभी इस स्तवन में मिलती है। श्रीरामकृष्णदेव के जीवन-दर्शन की तथा भावों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या इस स्तवन में मिलती है।
संध्या की सुंदर पावन बेला में इस स्तवन की सुमधुर संगीतमय स्वर-लहरी वायुमंडल में विलीन होकर उसके साथ मिलकर एक अद्भुत आध्यात्मिक संगीत के पवित्र वातावरण की सर्जना करती है और भक्तों के मन के भावों को उच्च स्थिति में ले जाती है। स्वामी विवेकानन्द धर्म की संकीर्णता और साम्प्रदायिकता के विरोधी थे। एक प्रकार से यह सार्वभौमिक प्रार्थना है, प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने इष्ट के प्रति इस स्तवन-प्रार्थना को कर सकता है, क्योंकि जिन गुणों का वर्णन इसमें किया गया है वह िकसी भी अवतार – ईश्वर के किसी भी रूप में लागू हो सकता है। बंगाली भाषा में लिखा हुआ होने पर भी इतना अधिक संस्कृत शब्दों का प्रयोग इस स्तवन में हुआ है कि बंगाली भाषा नहीं जानने वाला भी सरलता से इसका अर्थ समझ सकता है।

Contributors : Swami  Nikhileshwarananda, Dr. Kedarnath Labh, Ms. Aasha Varathe