श्रीरामकृष्ण परमहंसदेव का जीवनवृत्तान्त (Sri Ramakrishna Paramahansa Dev Ka Jivanvrittant)

SKU EBH231

Contributors

Sri Ramachandra Datta, Swami Brahmeshananda

Language

Hindi

Publisher

Ramakrishna Math, Nagpur

Pages in Print Book

170

Print Book ISBN

9788193659113

Description

अनन्तभावमय ठाकुर के जीवन के गंभीर रहस्य को समझना साधारण मानव के लिए असंभव है। जो लोग श्रीरामकृष्ण का पवित्र सान्निध्य पाकर धन्य हुए हैं, उनके निर्देश के अनुसार जीवन को उच्च आध्यात्मिक स्तर पर उन्नत कर सके हैं, ऐसे लोगों में भक्त-प्रवर श्रीयुत् रामचन्द्र एक हैं। ठाकुर के अन्तरंग पार्षद के रूप में जाने जाने वाले, जो युग-युग में अवतार के लीलासहचर हैं, वे अवतार के लोक कल्याण के कार्य के सफल रूपायन के लिए जन्म ग्रहण करते हैं। ठाकुर के दूसरे पार्षदों के उनके पास आने के कुछ समय पहले, संभवतः १८७९ ई. से रामचन्द्र दत्त को ठाकुर का सान्निध्य प्राप्त हुआ था, और वे उनकी अपार्थिव कृपा के अधिकारी हुए थे।

“श्रीश्रीरामकृष्ण परमहंसदेवेर जीवनवृत्तान्त” पुस्तक रामचन्द्र दत्त के ठाकुर के साक्षात् सान्निध्य, स्वयं अपने कानों से सुनी हुई ठाकुर के मुख से निःसृत वाणी, और हृदयराम आदि ठाकुर के घनिष्ठ सम्बन्धियों से प्राप्त विवरणों पर आधारित है। इस पुस्तक को श्रीश्रीरामकृष्ण के जीवन के विषय में एक प्रामाणिक ग्रन्थ माना जा सकता हैं। इसमें गुरु के प्रति भक्ति के आधिक्य के कारण किसी घटना को अतिरंजित नहीं किया गया है। यही नहीं, साधारण लोगों के मन में अविश्वास पैदा करने की संभावना को देखकर कई सत्य घटनाओं को भी नहीं कहा गया है। ठाकुर के विविधतापूर्ण जीवन की मुख्य मुख्य घटनाओं का – जन्म व बाल्यकाल से प्रारंभ कर साधना काल की घटनाओं का विस्तारित विवरण, भक्तों के प्रति कृपा-वर्षण, और अन्त में महासमाधि तक के समस्त विषयों को यथायोग्य रूप में सन्निविष्ट किया गया है।

श्रीरामकृष्ण का जीवनवृत्तान्त अमृतकलश के समान है। इसका जितना पाठ किया जाय, उतना ही अमृत-रस का आस्वादन मिलता है। इस ग्रन्थ के द्वारा श्रीश्रीठाकुर के पूत सान्निध्य का काफी मात्रा में अनुभव किया जा सकता है। इसी में इस ग्रन्थ की सार्थकता है।

ठाकुर की और भी जीवनियाँ प्रकाशित हैं, फिर भी इस ग्रन्थ की उपयोगिता कम नहीं है। ग्रन्थ की भाषा सरल और सुपठनीय है। लेखक ठाकुर के एक गृहस्थ भक्त थे। ठाकुर के संपर्क में आने के पूर्व उनका जीवन कैसा था तथा सान्निध्य के बाद उनके जीवन में होने वाले परिवर्तन का हृदयग्राही वर्णन देकर लेखक ने साधारण दुर्बल मनुष्य को उत्साहित किया है और ऐसी आशा का प्रकाश पैदा किया है कि ठाकुर को पकड़े रखने पर वे भी एक दिन अपार्थिव आध्यात्मिक संपदा के अधिकारी हो सकते हैं।

ठाकुर की जीवनी के पाठ में पाठक का महान कल्याण है। ठाकुर की बातें कभी पुरानी नहीं होतीं। एक ही बात बार-बार पढ़ने पर भी नये नये भावों, विचारों, का उदय होता है।

Contributors : Sri Ramachandra Datta, Swami Brahmeshananda