श्रीरामकृष्ण लीलाप्रसंग – प्रथम खण्ड (Sri Ramakrishna Leelaprasang Part-1)

SKU EBH060

Contributors

Sri Nrusinhavallabha Goswami, Swami Sardananda

Language

Hindi

Publisher

Ramakrishna Math, Nagpur

Pages in Print Book

544

Description

आज कोई 140 वर्ष हुए जब श्रीरामकृष्णदेव ने इस भौतिक संसार से विदा ली, किन्तु उनके दैवी जीवन से नि:सृत आध्यात्मिक स्रोत आज भी अपने पूर्ण वेग तथा प्रभाव से समस्त शिक्षित संसार में संजीवनी का संचार कर रहा है तथा अपने दिव्य आलोक से पृथ्वी के दोनों भूखण्डों — पूर्वार्ध एवं पश्चिमार्ध — को आलोकित कर रहा हैं। भारत में ही क्यों, विदेशों में भी आज उनका नाम घर-घर में व्याप्त है, नर-नारियों के लिए आशा का प्रतीक है, सान्त्वना का सम्बल है तथा आध्यात्मिकता का पवित्र मन्त्र है। उनकी दिव्य वाणी एवं वरद वचनों से कितनी ही व्याकुल आत्माओं को शान्ति प्राप्त हुई है, और अज्ञानतिमिर नष्ट होकर ज्ञानालोक का प्रादुर्भाव हुआ है, तथा कितने ही व्यथित हृदय को स्थायी शान्ति और सात्त्विक शक्ति का वरदान प्राप्त हुआ है। कहने की बात नहीं, जिस महापुरुष की दिव्य जीवनी ने इतने अल्प काल में ही अलौकिक रूप से मानव-जीवन को प्रभावित कर इतना निर्मल बना दिया है, उसे पूर्ण रूप से समझने तथा आत्मसात् करने में मानवता को कितना समय लगेगा, अनुमान करना कठिन है। भगवान् श्रीरामकृष्णदेव की महासमाधि के पश्चात् उनकी जीवनी का वर्णनात्मक विवेचन उनके अनेक शिष्यों तथा उपासकों ने समय-समय पर विभिन्न भाषाओं में प्रस्तुत किया है, परन्तु इनमें से ऐसा वर्णन शायद कोई नहीं है जो यथासम्भव पूर्ण या विस्तृत होता और जो इस दिव्य अवतार के अद्वितीय व्यक्तित्व को निखार पाता।

Contributors : Swami Saradananda, Sri Nrusinhavallabha Goswami