Description
श्रीरामकृष्णदेव का जीवनचरित्र धर्म के व्यावहारिक आचरण का विवरण है। उनका जीवनचरित्र हमें ईश्वर को अपने सामने प्रत्यक्ष देखने की शक्ति देता है। उनके चरित्र को पढ़नेवाला मनुष्य इस निश्चय को प्राप्त किये बिना नहीं रह सकता कि केवल ईश्वर ही सत्य है और शेष सब मिथ्या — भ्रम — है। श्रीरामकृष्ण ईश्वरत्व की सजीव मूर्ति थे। उनके वाक्य किसी निरे विद्वान के ही कथन नहीं है, वरन् वे उनके जीवनग्रन्थ के पृष्ठ हैं। उन वाक्यों के द्वारा उन्होंने स्वयं अपने ही अनुभवों को प्रकट किया है। इसी कारण उनका जो प्रभाव पाठक के हृदय पर पड़ता है वह चिरस्थायी होता है। इस सन्देहवादी युग में श्रीरामकृष्ण सजीव और ज्वलन्त धार्मिक विश्वास के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। इसी उदाहरण के कारण ऐसे सहस्रों स्त्री-पुरुषों की आत्मा को शान्ति प्राप्त हुई है जिन्हें अन्यथा आध्यात्मिक प्रकास से वंचित रहना पड़ता। श्रीरामकृष्ण का चरित्र अहिंसा का प्रत्यक्ष पाठ है। उनका अपार प्रेम किसी भौगोलिक अथवा अन्य सीमा के भीतर परिमित या आबद्ध नहीं था। मेरी यही प्रार्थना है कि उनका दिव्य प्रेम इस जीवनचरित्र के सभी पाठकों को अन्त:स्फूर्ति दे। साबरमती, मार्गशीर्ष कृष्ण 1 विक्रम संवत् 1981 — मो. क. गाँधी
Contributors : Sri Narhar Ramachandra Paranjape, Pandit Dwarkanath Tiwari